Tuesday, 23 July 2013

सफ़र कितने भी...

हर दुआ जो दिल में आये
उसे माँगी नहीं जाती
साँसे कितनी भी कमजोर क्योँ ना हो
मौत की आशा पर छोड़ी नहीं जाती
सफ़र कितने भी तय क्योँ ना की हो
मंजिल आने तक उसे रोकी नहीं जाती 

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